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दार्जिलिंग जिला इन दिनों सूर्यमुखी फूल उत्पादन के मामले में भी अपनी पहचान बनाने की राह में।

नक्सलबाड़ी : अब तक चाय और अनारस की खेती के क्षेत्र में उत्तर बंगाल में अपनी पहचान बनाने वाला दार्जिलिंग जिला इन दिनों सूर्यमुखी फूल उत्पादन के मामले में भी अपनी पहचान बनाने की राह में है। 

दार्जिलिंग जिला अन्तर्गत नक्सलबाड़ी प्रखंड के कीलाराम संसद में पहली बार उपजाये जा रहे सूर्यमुखी फूल आकर्षण का केंद्र ही नहीं अपितु कम लागत में रोजगार के नए अवसर  पैदा कर रहे हैं। 

जानकारों का मानना है की सूर्यमुखी के पैदावार से सूरजमुखी को बड़े पैमाने पर उगाने से न केवल खाद्य तेल उपलब्ध होगा बल्कि विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। किसान एम आलम ने बताया सूर्यमुखी फूल की खेती नक्सलबाड़ी में  इस वर्ष प्रयोग के तौर पर किया गया है।

हलाँकि खेती काफी अच्छा है भविष्य में सूर्यमुखी फूल उत्पादन बड़े पैमाने पर किए जाने की योजना है। उन्होने बताया सूर्यमुखी के फूलों पर मधुमक्खियां भी काफी आ रही है। 

मद्देनजर सूर्यमुखी फूल उत्पादन के साथ साथ मधुमक्खियां पालन भी की जा सकती है। अगले सीजन से मधुमक्खियां पालन भी की जाएगी। लगभग 115 दिनों में सूर्यमुखी पूरी तरह से तैयार हो जाती है। 

तत्पश्चात फल से तेल निकाला जा सकता है । वहीं उत्पादक रूही खातून ने बताया सूर्यमुखी का फूल इन दिनों रोजगार के साथ साथ आकर्षण का केंद्र भी बना हुआ है। लोग पहुंच फोटो लेने में जुटे हुए हैं। 

हालांकि उन्होने कोरोना काल को देखते हुए फोटो लेने के बजाय घरों में रहने का अपील किया है। एडीओ लोकनाथ शर्मा ने बताया मूल रूप से सूरजमुखी किसी भी मौसम में उगाई जाने वाली तिलहन फसल है। 

यह विशेष रूप से शुष्क मौसम में उगाया जाता है या इसे परिपक्व होने पर शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है। उत्तर बंगाल में इस फसल के लिए कृषि जलवायु अनुकूल है। लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से इस क्षेत्र में इसे कम से कम स्वीकार किया जाता है। 

उन्होने बताया सूर्यमुखी का पैदावार फांसीदेवा प्रखंड के कुछ हिस्सों में किया जा रहा है। इसमें अच्छी गुणवत्ता वाले फैटी एसिड तेल और वसा की बुनियादी निर्माण इकाइयाँ यानी लिनोलिक एसिड, पॉलीअनसेचुरेटेड वसा और ओलिक एसिड होते हैं। 

अनाज की फसलों की तुलना में आधिक लाभकारी। औद्योगिक उपयोग में अपार संभावनाएं हैं।

ब्यूरो रिर्पोट : रोज खबर दुनियां।

 

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