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ईद-उल-फितर 2021,रमजान के पाक महीने का महत्वा और इतिहास।

जिस दिन रमजान का पाक महीना समाप्त होता है उसके अगले दिन यानिकि रमजान के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर का त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। इसे मीठी ईद भी कहते हैं क्युकी इस दिन मिठाईया खाई जाती है। इस्लामिक परम्पराओं के अनुसार ईद-उल-फितर की शुरुआत जंग-ए-बद्र के बाद हुई थी. इस युद्ध में पैगंबर मुहम्मद साहब के नेतृत्व में मुसलमानों की जीत हुई थी।

ईद-उल-फितर का महत्व।

ईद का पर्व खुशियों और उल्लाश का त्योहार है। वैसे तो यह पर्व प्रमुख रूप से इस्लाम धर्म का त्योहार है। परंतु आज के समय में  इस त्योहार को लगभग सभी धर्मों के लोग मिल जुल बड़ी उत्त्साह से मनाते हैं। 

दरअसल इस त्योहार से पहले शुरू होने वाले रमजान के पाक महीने में इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग पूरे एक महीने रोजा का व्रत रखते हैं। रमजान के महीने में मुसलमानों को रोजा रखना अनिवार्य है, क्योंकि मुसलमानों का ऐसा मानना है कि इससे अल्लाह बहुत प्रसन्न होते है। 

यह द का पर्व त्याग और अपने मजहब के प्रति अपार समर्पण को दिखता है। और यह बताता है कि एक इंसान को अपनी इंसानियत के लिए इच्छाओं का त्याग करना चाहिए, जिससे कि एक बेहतर और खुशहाल समाज का निर्माण हो सके। 

ईद उल फितर का निर्धारण एक दिन पहले चाँद देखकर किया जाता है। चाँद दिखने के बाद उससे अगले दिन ईद का पर्व मनाई जाती है। सऊदी अरब में चाँद एक दिन पहले और भारत मे चाँद एक दिन बाद दिखने के वजह से ईद का पर्व दो दिनों तक मनाया जाता है। 

ईद एक बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसलिए इस दिन सबकुछ छुट्टी रहती है। ईद के दिन सुबह से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग इस दिन तरह तरह के व्यंजन, पकवान बनाते है तथा नए नए पहनावे पहनते हैं। 

ईद का त्योहार हमेशा से ही चांद पर निर्भर करता आया है। ऐसे में ईद-उल-फितर होने से पहले चांद का दिखना जरूरी होता है। चांद देखने के साथ ही यह त्योहार मनाया जाता है।

ईद-उल-फितर का इतिहास।

मुसलमानों का त्यौहार ईद-उल-फितर रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाया जाता है। इस्लाम में दुसरी ईद उल जुहा या बकरीद कही जाती है। पहली ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद साहेब ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनायी थी। 

ईद-उल-फितर के अवसर पर पूरे महीने अल्लाह के बंदे अल्लाह की इबादत करते हैं और रोज़ा रखते हैं। और कुरान की तिलावत करके अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं जिसका अज्र या मजदूरी मिलने का दिन ही ईद का दिन कहलाता है जिसे उत्सव के रूप में पूरी दुनिया के मुसलमान बड़े उत्त्साह और उल्लास से मनाते हैं। 


ईद उल-फितर का सबसे अहम मक्सद एक और भी है कि इसमें ग़रीबों को फितरा देना वाजिब है। जिससे वो लोग जो ग़रीब हैं मजबूर हैं अपनी ईद मना सकें नये कपडे पहन सकें और समाज में एक दूसरे के साथ खुशियां बांट सकें फित्रा वाजिब है।

ईद भाई चारे व आपसी मेल का तयौहार है ईद के दिन लोग एक दूसरे के दिल में प्यार बढाने और नफरत को मिटाने के लिए एक दूसरे से गले मिलते हैं। ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं।

ईद में रखें इन बातों का ध्यान।

इस कोरोना महामारी काल में एहितियात बरतना और सामाजिक दूरी का पालन करना भी जरूरी है। ईद पर हाथ मिलाने और गले लगने से परहेज करना चाहिए, माक्स लगाए रहना चाहिए , सामाजिक दुरी बनाये रखना चाहिए। 
 धन्यबाद ईद मुबारक जय हिन्द जय भारत। 

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