Hai Friends में R K Poddar ओर आप पढ़ रहे हैं R K दुनिया दोस्तों बैद्यनाथ मंदिर(Baidyanath Dham) में भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र शिवलिंग बिराजमान है। जो झारखंड के देवघर में स्थित है। इस जगह को लोग बाबा बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जानते हैं।
यह भोलेनाथ का ज्योतिर्लिंग एक महा सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहां पर आने वाले सभी भक्त की मनो कामना पूर्ण हो जाती है, इसी कारण इस लिंक को कामना लिंग भी कहा जाता है। सस्त्रो के अनुसार सावन महीने को भगवान भोलेनाथ के उपासना का सबसे सही समय बताया गया है। इस पावन सावन महीने में लाखों श्रद्धालु 105 किलोमीटर दूर सुल्तानगंज से जल भरकर कावर के जरिए बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। बैद्यनाथ धाम(Baidyanath Dham) में स्थित शिवलिंग की कहानी इतनी पौराणिक और दिलचस्प की आप भी इस पावन धाम के दर्शन करना जरूर चाहेंगे।
यह भोलेनाथ का ज्योतिर्लिंग एक महा सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहां पर आने वाले सभी भक्त की मनो कामना पूर्ण हो जाती है, इसी कारण इस लिंक को कामना लिंग भी कहा जाता है। सस्त्रो के अनुसार सावन महीने को भगवान भोलेनाथ के उपासना का सबसे सही समय बताया गया है। इस पावन सावन महीने में लाखों श्रद्धालु 105 किलोमीटर दूर सुल्तानगंज से जल भरकर कावर के जरिए बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। बैद्यनाथ धाम(Baidyanath Dham) में स्थित शिवलिंग की कहानी इतनी पौराणिक और दिलचस्प की आप भी इस पावन धाम के दर्शन करना जरूर चाहेंगे।
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दोस्तों आज हम आपको अपने इस ब्लॉग के जरिए बाबा बैद्यनाथ धाम(Baidyanath Dham) (देवघर) से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातों को बताएंगे तो हमारे साथ बने रहीये और हमारा चैनल को फॉलो नही किया है तो फॉलो कर लें।
बाबा बैद्यनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग को मनोकामना लिंग भी कहा जाता है। इस ज्योतिर्लिंग के पीछे की यह मान्यता है की राक्षसराज रावण कैलाश पर घोर तपस्या के बाद भगवान शिव के इस पवित्र शिवलिंग को प्राप्त किया था।
और रावन इस ज्योतिर्लिंग को लंका लेजाना चाहते थे। लेकिन रास्ते में रावन को लघु संका आई और वह लघुसंका के लिए देवघर के नजदीक रुके और फिर रावण को भगवान शिव कि कही बात याद आई की ज्योतिर्लिंग को कही जमीन पर नहीं रखना है। आगर रखा तो ज्योतिर्लिंग वही बिराजमान हो जाएगा। ज्योतिर्लिंग को रखे बीना लघुसंका करना असम्भव था।
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बाबा बैद्यनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग को मनोकामना लिंग भी कहा जाता है। इस ज्योतिर्लिंग के पीछे की यह मान्यता है की राक्षसराज रावण कैलाश पर घोर तपस्या के बाद भगवान शिव के इस पवित्र शिवलिंग को प्राप्त किया था।
और रावन इस ज्योतिर्लिंग को लंका लेजाना चाहते थे। लेकिन रास्ते में रावन को लघु संका आई और वह लघुसंका के लिए देवघर के नजदीक रुके और फिर रावण को भगवान शिव कि कही बात याद आई की ज्योतिर्लिंग को कही जमीन पर नहीं रखना है। आगर रखा तो ज्योतिर्लिंग वही बिराजमान हो जाएगा। ज्योतिर्लिंग को रखे बीना लघुसंका करना असम्भव था।
तभी एक बैजु नाम का चरवाहा वहा से गुज़र रहा था रावण ने उस चरवाहा को ज्योतिर्लिंग हाथ में देकर लघुसंका को चले गए और बहुत समय तक लघुसंका करते रह गए।
जिस वजह से एक तालाब का निर्माण हो गया था वह तालाब आज भी देवघर में अवस्थित है। बहुत समय बित जाने के कारण चरवाहा ने ज्योतिर्लिंग को वही रख दिया तभी से ज्योतिर्लिंग वही बिराजमान हो गया और रावण के लाख कोसीसो के बाद भी ज्योतिर्लिंग को वहा से हिला नहीं सका इसके बाद रावण गुस्से में आकर अपने अंगूठे से ज्योतिर्लिंग को नीचे की ओर दबाकर वहा से वापस चला गया ।
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कहा जाता है कि यह सब लीला देवताओ ने रची थी। बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां पर भगवान शिव और शक्ति एक साथ विराजमान है।
पुराणों के अनुसार भगवान विसनु के सुदर्शन चक्र के प्रहार से मां शक्ति के हृदय का भाग यहीं पर कट कर गिरा था। बैद्यनाथ दरबार माता शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक है। कहते हैं शिव और शक्ति के इस मिलन स्थल पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना खुद देवताओं ने की थी।
बैद्यनाथ धाम धाम के बारे में कहा जाता है यहां मांगी गई मनोकामना देर में सही लेकिन पूर्ण जरूर होती है। भगवान श्री राम और महाबली हनुमान जी ने श्रावण के महीने में यहां कावड़ यात्रा भी की थी। बैद्यनाथ धाम में स्थित भगवान भोले शंकर का ज्योतिर्लिंग यानी शिवलिंग नीचे की तरफ दबा हुआ है।
शिव पुराण और पद्म पुराण के पाताल खंड में इस ज्योतिर्लिंग की महिमा गाई गई है। मंदिर के निकट एक विशाल तालाब स्थित है। बाबा बैद्यनाथ का मेन मंदिर बहुत पुराना है, जिसके आसपास और भी बहुत सरे मंदिर बने हुए हैं।
भोलेनाथ का मंदिर माता पार्वती जी के मंदिर के साथ जुड़ा हुआ है। यहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के 2 दिन पूर्व बाबा मंदिर और मां पार्वती और लक्ष्मी नारायण के मंदिर से पंचसूल उतारे जाते हैं। इस दौरान पंचसूल को स्पर्श करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
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दोस्तों यह तो थी कुछ रोचक बातें बाबा बैद्यनाथ धाम धाम के बारे में…आशा करते हैं आपको हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा, अगर पसंद आया तो like Share comment करे।
धन्यवाद दोस्तों
जय हिंद जय भारत
News Information :- wikipedia hindi
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